राजधानी दिल्ली में बदला मौसम का मिजाज, तेज हवा के साथ हुई बारिश, कई जगहों पर उखड़े पेड़ और बत्ती गुल
मौसम विभाग ने पूर्वानुमान में कहा था कि दिल्ली-एनसीआर में आंधी के साथ हल्की बारिश हो सकती है और हवा की रफ्तार शाम को 40-50 किलोमीटर प्रति घंटे तक रह सकती है.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों में शुक्रवार की शाम को मौसम का मिजाज बदलने के बाद आंधी के साथ जोरदार बरिश हुई. बारिश और जोरदार हवा के चलते राजधानी के कई इलाकों में करीब घंटे भर तक बत्ती गुल रही.
बारिश के बीच हवा इतनी तेज चल रही थी कि इसकी वजह से राजधानी के विंडसर प्लेस समेत कई जगहों की सड़कों पर पेड़ जड़ से उखड़ गए. लोगों को इस दौरान कुछ मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा. इससे पहले, मौसम विभाग ने पूर्वानुमान में कहा था कि दिल्ली-एनसीआर में आंधी के साथ हल्की बारिश हो सकती है और हवा की रफ्तार शाम को 40-50 किलोमीटर प्रति घंटे तक रह सकती है.
पिछले हफ्ते में दिल्ली और एनसीआर में तेज हवा के साथ भारी बारिश हुई थी. तेज हवा के चलते कुछ इलाकों में पेड़ उखड़कर जमीन पर गिर गए थे. दिल्ली में अचनाक बारिश के बाद राजधानीवासियों को गर्मी से कुछ राहत जरूर मिली है.
दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने केरल में दस्तक दी
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने बताया कि दो दिन की देरी के बाद, दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने बृहस्पतिवार को केरल में दस्तक देकर देश में चार महीने के बारिश के मौसम की शुरुआत कर दी है. तिरुवनंतपुरम में जारी मौसम बुलेटिन के मुताबिक लक्षद्वीप के अधिकांश इलाकों और केरल के कुछ हिस्सों में बारिश हुई.
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा, ‘‘दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने केरल के दक्षिणी हिस्सों में शुरुआत कर दी है.” आईएमडी के मुताबिक केरल के ऊपर दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की शुरुआत सामान्यत: एक जून को होती है लेकिन इस बार यह दो दिन की देरी से आया.
पिछले छह वर्षों में यह तीसरी बार है जब मॉनसून देर से आया है. 2016 और 2019 में, दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने केरल के ऊपर आठ जून को दस्तक दी थी. अच्छा मॉनसून भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत अहम है जो अब भी बहुत हद तक कृषि एवं संबंधित गतिविधियों पर आधारित है. मौसम विभाग ने कहा कि देश के ज्यादातर हिस्सों में बारिश के मौसम के दौरान सामान्य से लेकर सामान्य से ऊपर बारिश होने का अनुमान है.
मौसम विभाग ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून अगले दो दिनों में दक्षिण अरब सागर और मध्य अरब सागर के कुछ हिस्सों, केरल के शेष हिस्सों, लक्षद्वीप, तमिलनाडु के कुछ भागों, पुडुचेरी, तटीय एवं कर्नाटक के अंदरूनी दक्षिणी हिस्सों, रायलसीमा और दक्षिण एवं मध्य बंगाल की खाड़ी की तरफ बढ़ेगा.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों में शुक्रवार की शाम को मौसम का मिजाज बदलने के बाद आंधी के साथ जोरदार बरिश हुई. बारिश और जोरदार हवा के चलते राजधानी के कई इलाकों में करीब घंटे भर तक बत्ती गुल रही.
बारिश के बीच हवा इतनी तेज चल रही थी कि इसकी वजह से राजधानी के विंडसर प्लेस समेत कई जगहों की सड़कों पर पेड़ जड़ से उखड़ गए. लोगों को इस दौरान कुछ मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा. इससे पहले, मौसम विभाग ने पूर्वानुमान में कहा था कि दिल्ली-एनसीआर में आंधी के साथ हल्की बारिश हो सकती है और हवा की रफ्तार शाम को 40-50 किलोमीटर प्रति घंटे तक रह सकती है.
पिछले हफ्ते में दिल्ली और एनसीआर में तेज हवा के साथ भारी बारिश हुई थी. तेज हवा के चलते कुछ इलाकों में पेड़ उखड़कर जमीन पर गिर गए थे. दिल्ली में अचनाक बारिश के बाद राजधानीवासियों को गर्मी से कुछ राहत जरूर मिली है.
दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने केरल में दस्तक दी
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने बताया कि दो दिन की देरी के बाद, दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने बृहस्पतिवार को केरल में दस्तक देकर देश में चार महीने के बारिश के मौसम की शुरुआत कर दी है. तिरुवनंतपुरम में जारी मौसम बुलेटिन के मुताबिक लक्षद्वीप के अधिकांश इलाकों और केरल के कुछ हिस्सों में बारिश हुई.
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा, ‘‘दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने केरल के दक्षिणी हिस्सों में शुरुआत कर दी है.” आईएमडी के मुताबिक केरल के ऊपर दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की शुरुआत सामान्यत: एक जून को होती है लेकिन इस बार यह दो दिन की देरी से आया.
पिछले छह वर्षों में यह तीसरी बार है जब मॉनसून देर से आया है. 2016 और 2019 में, दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने केरल के ऊपर आठ जून को दस्तक दी थी. अच्छा मॉनसून भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत अहम है जो अब भी बहुत हद तक कृषि एवं संबंधित गतिविधियों पर आधारित है. मौसम विभाग ने कहा कि देश के ज्यादातर हिस्सों में बारिश के मौसम के दौरान सामान्य से लेकर सामान्य से ऊपर बारिश होने का अनुमान है.
मौसम विभाग ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून अगले दो दिनों में दक्षिण अरब सागर और मध्य अरब सागर के कुछ हिस्सों, केरल के शेष हिस्सों, लक्षद्वीप, तमिलनाडु के कुछ भागों, पुडुचेरी, तटीय एवं कर्नाटक के अंदरूनी दक्षिणी हिस्सों, रायलसीमा और दक्षिण एवं मध्य बंगाल की खाड़ी की तरफ बढ़ेगा.
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