हाई कोर्ट के आदेश के बाद मध्य प्रदेश में 3500 जूनियर डॉक्टरों ने दिया सामूहिक इस्तीफा, मानदेय बढ़ाने को लेकर हड़ताल पर
हाई कोर्ट ने इन सभी जूनियर डॉक्टरों को तुरंत काम पर लौटने के आदेश दिए थे. साथ ही चेतावनी भी दी थी कि ऐसा नहीं करने की सूरत में राज्य सरकार उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें. कोर्ट के आदेश के बाद जबलपुर स्थित मध्य प्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी ने अपने 450 जूनियर डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन कैन्सिल कर दिया था.
मध्य प्रदेश जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (एमपीजेडीए) के अध्यक्ष डॉ अरविंद मीणा ने बताया कि राज्य के छह सरकारी मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत करीब 3,500 जूनियर डॉक्टरों ने गुरुवार को अपने पदों से सामूहिक इस्तीफा दे दिया. इन सभी ने अपने संबंधित कॉलेजों के डीन को अपना इस्तीफा सौंप दिया है.
क्या थी डॉक्टरों की मांग
इन जूनियर डॉक्टरों ने अपने मानदेय में 24 प्रतिशत बढ़ोत्तरी की मांग की थी. साथ ही इसमें सालाना अलग से 6 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की मांग भी रखी गयी थी. इसके अलावा इन जूनियर डॉक्टरों का कहना था कि हम में से कई डॉक्टर कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे है. यदि हमें इस दौरान कोरोना हो जाता है तो हमारे इलाज के लिए अस्पताल में अलग से व्यवस्था की जानी चाहिए. इन डॉक्टरों ने अपने परिवार के सदस्यों को भी बेहतर और मुफ्त इलाज उपलब्ध कराने की बात कही थी.
जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के सदस्य डॉक्टर सौरभ तिवारी के अनुसार, "हमें अपने लिए बेहतर सुरक्षा चाहिए. कई बार इलाज के दौरान हमें मरीज के परिजनों के आक्रोश का सामना भी करना पड़ता है. साथ ही यदि हमारे परिवार का कोई सदस्य संक्रमित होता है तो हमारे लिए बेड की व्यवस्था भी नहीं है."
क्या कहना है सरकार का
मध्य प्रदेश सरकार ने कहा है कि, वो इन डॉक्टरों का मानदेय बढ़ाने पर विचार कर रही है, साथ ही उनकी अन्य सभी मांगों को भी पूरा करने का पूरा प्रयास किया जाएगा. राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए पुलिस लगाने की व्यवस्था की जाएगी. राज्य के स्वास्थ्य शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के अनुसार, "इन जूनियर डॉक्टरों की एक मांग है कि ये ग्रामीण इलाक़ों में काम नहीं करना चाहते. ऐसे में गांवों में स्वास्थ्य व्यवस्था कैसे चलेगी. इन सभी को कोर्ट के आदेश का सम्मान करना चाहिए."
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